कांग्रेस का मुख्यालय सदाकत आश्रम अब ‘लात-घूंसे’ के लिए जाना जाता है

राजनीतिक संवाददाता द्वारा
पटना : देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस का बिहार मुख्यालय सदाकत आश्रम सबसे पुराना राजनीतिक पार्टी कार्यालय है। इस कार्यालय का का अपना पुराना और गौरवशाली इतिहास भी रहा है, लेकिन इस समय आश्रम विवाद और बवाल के कारण चर्चा में है।
सदाकत आश्रम एक बार फिर चर्चा में है। चर्चा का कारण सियासी घमासान है। दरअसल, बिहार में एक बार फिर से महागठबंधन की सरकार बनी है। सरकार बनने के बाद अब सबकी निगह अब मंत्रिमंडल विस्तार पर है। खबर है कि 16 अगस्त को कैबिनेट का विस्तार होगा। लेकिन मंत्रिमंडल विस्तार से पहले कांग्रेस में बवाल मचा हुआ है। सोमवार को सदाकत आश्रम में खूब हंगामा हुआ। कुछ देर के लिए सदाकत आश्रम रणक्षेत्र में तब्दील हो गया। ऐसा नहीं है कि सदाकत आश्रम में पहली बार बवाल हुआ है।
सदाकत आश्रम गौरवशाली इतिहास के साथ-साथ विवादों के लिए भी हमेशा चर्चा में रहा है। सोमवार को बिहार कांग्रेस मुख्यालय में जमकर बवाल हुआ। गाली-गलौज हुआ। ऐसा नहीं है कि ये सब पहली बार हुआ, इससे पहले भी यहां पर ये सब होते रहे हैं। राजधानी पटना स्थित बिहार के सभी राजनीतिक दलों के कार्यालयों में सबसे अधिक चर्चा सदकात आश्रम का ही हुआ है। चुनाव के दौरान सबसे ज्यादा सदाकत आश्रम में ही टिकट बांटने में धांधली देने का आरोप लगता रहा है। कांग्रेसी तो ये भी कहते रहे हैं कि चुनाव के समय कार्यकर्ताओं का उपेक्षा कर बाहरियों को टिकट दे दिया जाता है। 2020 विधानसभा चुनाव के दौरान सदाकत आश्रम में लात-घंसे तक चले थे।

कांग्रेस का बिहार मुख्यालय सदाकत आश्रम अब 'लात-घूंसे' के लिए जाना जाता है,  पढ़ें- बाग-बगीचे से आश्रम तक का सफर - story of congress bihar headquarters sadaqat  ashram ...

दरअसल, सोमवार को स्वतंत्रता दिवस के मौके पर तिरंगा मार्च का आयोजन किया गया था। तिरंगा मार्च के लिए बिहार कांग्रेस प्रभारी भक्तचरण दास जैसे ही सदाकत आश्रम से बाहर निकले, उनके साथ कुछ कार्यकर्ताओं की कहासुनी हो गई। बताया जा रहा है कि कार्यकर्ता कांग्रेस को तीन मंत्री पद दिए जाने का विरोध कर रहे थे। उनका कहना है कि चार सीटों वाली हम पार्टी को एक सीट मिल रहा है। ऐसे में कांग्रेस को पांच मंत्री पद मिलना चाहिए। इसी बात को लेकर कार्यकर्ता बिहार कांग्रेस प्रभारी का विरोध कर रहे थे। इसी दौरान कार्यकर्ताओं ने बिहार प्रभारी के खिलाफ आपत्तिजनक शब्दों का प्रयोग भी किया।
आजादी के बाद से 1990 तक कांग्रेस पार्टी बिहार में लगातार सत्ता में रही। स्थिति आज ऐसी है कि महज 19 सीटों पर सिमट कर रह गई है। आरोप तो ये भी लगते हैं कि कांग्रेस पार्टी या उनके नेता बिहार में लालू यादव की पार्टी आरजेडी की पिछलग्गू बनकर रह गई है।
गौरवशाली रहा है इतिहास :पटना स्थित सदाकत आश्रम से देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस का बिहार मुख्यालय है। सदाकत आश्रम की स्थापना मौलाना मजहरूल हक और डॉ राजेन्द्र प्रसाद ने 1921 में की थी। इतिहासकार बताते हैं कि आश्रम की स्थापना से पहले इस जगह पर बाग बगीचे थे। सदाकत एक अरबी शब्द है, जिसका अर्थ होता है ‘सत्य ‘। भारत के प्रथम राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद ने 28 फरवरी 1963 में इसी आश्रम में अंतिम सांस ली थी। कहा जाता है कि आजादी की लड़ाई के समय सदाकत आश्रम बिहार का मुख्य केंद्र के तौर पर काम करता था और आज हालात ऐसे हैं कि टिकट बंटवारे से लेकर मंत्री पद के लिए बवाल मच जाता है। कांग्रेसी आपस में ही भीड़ जाते हैं। लात-घूंसे चलाने लगते हैं।
इतिहास संजोने में नाकाम रहे वर्तमान नेता :1921 से अब तक बिहार कांग्रेस अध्यक्ष की कुर्सी कुल 40 नेताओं ने संभाली है। इनमें मौलाना मजहरूल हक, डॉ राजेन्द्र प्रसाद और श्रीकृष्ण सिंह जैसी बड़ी शख्सियत भी शामिल रह चुके हैं। वर्तमान समय में हालात ऐसे हैं कि प्रदेश अध्यक्ष और प्रभारी के सामने ही मारपीट और लात-घूंसे चलने लगते हैं। कहा तो ये भी जाता है कि इन्ही कारणों से बिहार कांग्रेस प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल ने खुद को बिहार से मुक्त कर लिया था। हालांकि उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को जो पत्र लिखा था, उसमें स्वास्थ्य कारणों का जिक्र किया था।

Related posts

Leave a Comment